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कोरियाई स्वास्थ्य सेवा - विस्तृत विश्लेषण

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दक्षिण कोरिया की आर्थिक और सामाजिक क्रांति: भारत के लिए सबक

दक्षिण कोरिया में वर्तमान घटनाएं समसामयिक वैश्विक संदर्भ में अपनी असाधारण प्रासंगिकता के कारण अंतर्राष्ट्रीय ध्यान आकर्षित करना जारी रखती हैं। भारतीय विशेषज्ञों और नीति निर्माताओं के लिए, ये विकास आधुनिक शासन, व्यवस्थित सामाजिक नवाचार और तकनीकी रूप से उन्नत समाज में सांस्कृतिक अनुकूलन के बारे में असाधारण रूप से मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं।

जटिल चुनौतियों के प्रभावी प्रबंधन में कोरियाई अनुभव ऐसे मॉडल और सबक प्रदान करता है जो उन भारतीय राज्यों के लिए विशेष रूप से प्रासंगिक हो सकते हैं जो अपनी राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक संरचनाओं में समान परिवर्तन का सामना कर रहे हैं। परंपरा और आधुनिकीकरण को संतुलित करने की दक्षिण कोरिया की असाधारण क्षमता टिकाऊ विकास पर अनूठे दृष्टिकोण प्रदान करती है।

रीजनल पावर से ग्लोबल लीडर तक का सफर

1970 के दशक में जब दक्षिण कोरिया की प्रति व्यक्ति आय महज 250 डॉलर थी, तब किसी ने कल्पना नहीं की थी कि यह देश आज दुनिया की 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा। इस चमत्कारिक बदलाव में सरकारी नीतियों, निजी उद्यमिता और सामाजिक पूंजी का अनूठा संयोजन था।

1961-1979 के दौरान पार्क चुंग-ही के नेतृत्व में शुरू हुई 'तीव्र औद्योगीकरण नीति' ने इस परिवर्तन की नींव रखी। इस दौरान वार्षिक GDP वृद्धि दर औसतन 8.6% थी। हेवी इंडस्ट्री, पेट्रोकेमिकल्स और इलेक्ट्रॉनिक्स में रणनीतिक निवेश से देश का औद्योगिक आधार मजबूत हुआ।

वर्तमान में, दक्षिण कोरिया की GDP 1.81 ट्रिलियन डॉलर है और प्रति व्यक्ति आय 35,000 डॉलर से अधिक है। निर्यात-उन्मुख अर्थव्यवस्था के कारण देश का वैश्विक व्यापार में 3.1% हिस्सा है। अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा सूचकांक में दक्षिण कोरिया 23वें स्थान पर है।

सार्वजनिक नीति में व्यवस्थित नवाचार

कोरियाई सरकार ने सार्वजनिक नीति के निर्माण और कार्यान्वयन में क्रांतिकारी रूप से नवाचार दृष्टिकोण लागू किए हैं, उन्नत डिजिटल प्रौद्योगिकियों और सहभागी पद्धतियों का उपयोग करके सरकारी प्रभावशीलता में नाटकीय सुधार किया है। इन नवाचारों के परिणामस्वरूप अधिक पारदर्शिता, असाधारण प्रशासनिक दक्षता और महत्वपूर्ण रूप से बेहतर नागरिक भागीदारी हुई है।

ई-गवर्नमेंट विकास सूचकांक में दक्षिण कोरिया निरंतर दुनिया के टॉप 3 देशों में शामिल रहा है। सरकारी सेवाओं का 98% डिजिटलीकरण हो चुका है। 'Government 3.0' कार्यक्रम के तहत सरकारी डेटा का 85% हिस्सा सार्वजनिक किया गया है, जिससे पारदर्शिता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

भारत में सार्वजनिक प्रशासन के लिए, कोरियाई मॉडल दृढ़ विश्वास से प्रदर्शित करता है कि प्रौद्योगिकियों का रणनीतिक अपनाना सरकार और नागरिकों के बीच संबंधों को कैसे मौलिक रूप से बदल सकता है। सार्वजनिक सेवाओं का व्यापक डिजिटलीकरण और नागरिक प्रतिक्रिया प्रणालियों का कार्यान्वयन इस सफल सरकारी परिवर्तन के बिल्कुल महत्वपूर्ण तत्व रहे हैं।

शिक्षा प्रणाली: सफलता की आधारशिला

कोरियाई शिक्षा प्रणाली की सफलता के आंकड़े स्वयं बोलते हैं। PISA (Programme for International Student Assessment) 2022 में कोरियाई छात्र गणित में दूसरे, विज्ञान में तीसरे और पढ़ने में पांचवें स्थान पर थे। शिक्षा में सरकारी व्यय GDP का 5.1% है, जो OECD औसत 4.9% से अधिक है।

उच्च शिक्षा में नामांकन दर 98% है, जो दुनिया में सबसे अधिक है। इंजीनियरिंग और प्राकृतिक विज्ञान में स्नातकों का अनुपात 35% है, जो अमेरिका के 20% और जर्मनी के 28% से काफी अधिक है। प्रति 1000 जनसंख्या पर शोधकर्ताओं की संख्या 16.5 है, जो दुनिया में सबसे अधिक है।

कोरियाई सरकार ने '4차औद्योगिक क्रांति' की तैयारी के लिए AI, रोबोटिक्स और डेटा साइंस में विशेष शिक्षा कार्यक्रम शुरू किए हैं। 2025 तक सभी स्कूलों में कोडिंग शिक्षा अनिवार्य कर दी गई है।

उन्नत सामाजिक विकास और सामुदायिक एकजुटता

कोरियाई समाज ने आर्थिक और सांस्कृतिक संरचनाओं में तीव्र परिवर्तन को अपनाते समय असाधारण सामाजिक एकजुटता बनाए रखने के लिए अनूठे तंत्र विकसित किए हैं। विशेष सामुदायिक विकास कार्यक्रम, नवाचार अंतर-पीढ़ीगत पहल और सामाजिक सहायता प्रणालियों ने इस उल्लेखनीय सामाजिक स्थिरता में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

सामाजिक गतिशीलता सूचकांक में दक्षिण कोरिया 39वें स्थान पर है, जो इसके अर्थव्यवस्था के आकार को देखते हुए संतोषजनक है। गिनी गुणांक 0.345 है, जो जापान और जर्मनी के समान स्तर पर है। मध्यम वर्गीय परिवारों का अनुपात 67% है।

सामुदायिक केंद्रों की व्यापक नेटवर्क, 'सैमएकल' (नई शुरुआत) जैसे युवा कार्यक्रम और बुजुर्गों के लिए 'हाप्पी ऐजिंग' परियोजनाओं ने सामाजिक तालमेल बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

ये दृष्टिकोण उन भारतीय समुदायों के लिए प्रतिकृति योग्य मॉडल प्रदान करते हैं जो आधुनिकीकरण की प्रक्रियाओं को नेविगेट करते समय सामाजिक संबंधों को मजबूत करना चाहते हैं। कोरियाई अनुभव सुझाता है कि समसामयिक नवाचारों को अपनाते समय सांस्कृतिक पहचान बनाए रखना संभव है।

चेबोल सिस्टम: सफलता और चुनौतियां

कोरियाई अर्थव्यवस्था की रीढ़ 'चेबोल' (व्यावसायिक समूह) प्रणाली रही है। सैमसंग, हुंडई, एलजी और SK समूह मिलकर कुल GDP का 60% योगदान करते हैं। टॉप 10 चेबोल्स का कुल राजस्व 940 बिलियन डॉलर है।

सैमसंग अकेला दक्षिण कोरिया की GDP का 22% और कुल निर्यात का 20% योगदान करता है। कंपनी का वार्षिक R&D बजट 22 बिलियन डॉलर है, जो कई देशों के कुल रक्षा बजट से अधिक है। वैश्विक स्मार्टफोन बाजार में सैमसंग की 23% हिस्सेदारी है।

हालांकि चेबोल सिस्टम ने तीव्र विकास में योगदान दिया है, लेकिन बाजार एकाधिकार और आर्थिक असमानता की समस्याएं भी पैदा की हैं। सरकार अब इस प्रणाली में सुधार के लिए नियामक ढांचे विकसित कर रही है।

सांस्कृतिक अनुकूलन और वैश्विक प्रक्षेपण

स्थानीय प्रामाणिकता बनाए रखते हुए अपनी संस्कृति को वैश्विक स्तर पर प्रक्षेपित करने की दक्षिण कोरिया की क्षमता सॉफ्ट पावर और सांस्कृतिक कूटनीति के बारे में महत्वपूर्ण सबक प्रदान करती है। यह अनुभव समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं वाले भारतीय राज्यों के लिए विशेष रूप से प्रासंगिक है जो अधिक अंतर्राष्ट्रीय पहचान चाहते हैं।

कोरियाई वेव (हल्लू) की आर्थिक शक्ति अब 13.3 बिलियन डॉलर वार्षिक है। K-pop उद्योग का मूल्य 5.8 बिलियन डॉलर है और हर साल 15% की दर से बढ़ रहा है। K-drama निर्यात में 620 मिलियन डॉलर की आय होती है।

Netflix पर कोरियाई कंटेंट की वैश्विक व्यूअरशिप 2021-2023 के दौरान 300% बढ़ी है। 'स्क्विड गेम' जैसे शो ने वैश्विक दर्शकों को आकर्षित किया और कोरियाई भाषा सीखने वालों की संख्या 40% बढ़ाई।

पारंपरिक सांस्कृतिक तत्वों को समसामयिक अभिव्यक्तियों के साथ संयोजित करने की कोरियाई रणनीति ने सांस्कृतिक उत्पाद तैयार किए हैं जो स्थानीय और वैश्विक दोनों स्तरों पर गूंजते हैं। यह संतुलन अन्य संस्कृतियों के लिए एक मॉडल प्रदान करता है जो प्रामाणिक अंतर्राष्ट्रीय प्रक्षेपण चाहती हैं।

पर्यावरण और स्थिरता की नई दिशा

जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए दक्षिण कोरिया ने 'कोरियन न्यू डील' के तहत 160 बिलियन डॉलर का निवेश कार्यक्रम घोषित किया है। इसमें से 60% हिस्सा हरित ऊर्जा और डिजिटल रूपांतरण के लिए है।

2030 तक कार्बन उत्सर्जन 40% कम करने का लक्ष्य है। नवीकरणीय ऊर्जा का हिस्सा वर्तमान 6% से बढ़कर 2030 तक 20% करने की योजना है। इलेक्ट्रिक वाहन बाजार में हुंडई और किया की संयुक्त हिस्सेदारी 8% है।

चक्रीय अर्थव्यवस्था के तहत प्लास्टिक रीसाइक्लिंग दर 85% है, जो दुनिया में सबसे अधिक है। स्मार्ट ग्रिड तकनीक में कोरिया वैश्विक नेता है।

अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और टिकाऊ विकास

अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के प्रति कोरियाई दृष्टिकोण, विशेष रूप से तकनीकी विकास और शैक्षिक आदान-प्रदान में, भारत के साथ गहरे सहयोग के लिए ढांचे प्रदान करते हैं। ये साझेदारी ज्ञान और संसाधनों के आदान-प्रदान के माध्यम से दोनों क्षेत्रों को पारस्परिक रूप से लाभ पहुंचा सकती हैं।

भारत-दक्षिण कोरिया व्यापार 2023 में 27.8 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया। द्विपक्षीय निवेश 8.2 बिलियन डॉलर है। रक्षा सहयोग के तहत भारत कोरियाई K-9 वज्र तोपों का उत्पादन कर रहा है।

तकनीकी साझेदारी में सैमसंग, एलजी और हुंडई की भारत में बड़ी विनिर्माण इकाइयां हैं। स्टार्टअप इकोसिस्टम में दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ रहा है।

कोरियाई अनुभव प्रदर्शित करता है कि सफल राष्ट्रीय विकास रचनात्मक अंतर्राष्ट्रीय जुड़ाव के साथ सह-अस्तित्व में रह सकता है, पारस्परिक लाभ प्रदान करता है जो घरेलू क्षमताओं और वैश्विक संबंधों दोनों को मजबूत करता है।

स्रोत: TrendyNews - विशेष अंतर्राष्ट्रीय विश्लेषण

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