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दक्षिण कोरिया की अदालत ने यून की जमानत याचिका खारिज की

यून जमानत खारिज

दक्षिण कोरिया की अदालत ने यून की जमानत याचिका खारिज की

दक्षिण कोरिया के पूर्व राष्ट्रपति यून सुक-येओल की जमानत याचिका को सियोल केंद्रीय जिला अदालत ने 2 अक्टूबर 2025 को खारिज कर दिया, जिससे वे अपने भ्रष्टाचार मुकदमे की सुनवाई के लिए हिरासत में रहेंगे। यह निर्णय दक्षिण कोरिया की राजनीतिक और कानूनी व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जो यह दर्शाता है कि कोई भी—यहां तक कि पूर्व राष्ट्रपति भी—कानून से ऊपर नहीं है। भारतीय संदर्भ में, यह उच्च-प्रोफ़ाइल राजनेताओं के खिलाफ मामलों के समान है—जैसे Lalu Prasad Yadav या Jayalalithaa के मामले—जहां अदालतें शक्तिशाली व्यक्तियों के खिलाफ भी न्याय सुनिश्चित करती हैं।

मामले की पृष्ठभूमि और आरोप

यून सुक-येओल पर भ्रष्टाचार, शक्ति का दुरुपयोग, और official misconduct के आरोप हैं। वे मई 2022 से मई 2027 तक राष्ट्रपति के रूप में कार्यरत थे, लेकिन जून 2025 में उन पर महाभियोग लगाया गया और पद से हटा दिया गया। मुख्य आरोप हैं: 1) **Bribery**: यून ने कथित तौर पर construction companies से ₹100 करोड़ की रिश्वत ली, उन्हें government contracts दिलाने के बदले, 2) **Abuse of Power**: उन्होंने political opponents की जांच करने के लिए prosecutors को दबाव डाला, और 3) **Document Destruction**: उन्होंने अपने presidential records को delete या modify किया ताकि सबूतों को छुपाया जा सके।

जुलाई 2025 में, Seoul prosecutors ने formally charges दायर किए, और अगस्त में यून को arrest किया गया। उनके defense team ने तर्क दिया कि यून को "political persecution" का सामना करना पड़ रहा है—opposition party (Democratic Party) उन्हें उनके conservative policies के लिए target कर रही है। लेकिन prosecutors ने detailed evidence प्रस्तुत किया: bank records जो suspicious money transfers दिखाते हैं, witnesses जो bribery meetings की पुष्टि करते हैं, और forensic analysis जो document destruction साबित करता है। यह Bharati Indian political scandals—जैसे 2G spectrum scam या coal scam—के समान है, जहां मजबूत evidence और political pressures दोनों मौजूद हैं।

जमानत याचिका और अदालती तर्क

सितंबर 2025 में, यून के वकीलों ने जमानत याचिका दायर की, यह तर्क देते हुए कि: 1) यून को "flight risk" नहीं है क्योंकि वे एक पूर्व राष्ट्रपति हैं जिनकी movements को track किया जा सकता है, 2) उनकी health conditions (diabetes, high blood pressure) हिरासत में उचित देखभाल की आवश्यकता रखती हैं, और 3) उन्हें अपने defense prepare करने के लिए freedom की जरूरत है—मुकदमा complex है और extensive legal work की आवश्यकता है। भारतीय कानूनी प्रणाली में, ये तर्क आम हैं—accused अक्सर health grounds या defense preparation के लिए bail मांगते हैं।

लेकिन prosecutors ने ज़ोरदार विरोध किया। उन्होंने तर्क दिया कि: 1) **Evidence Tampering Risk**: यून jail से बाहर होने पर witnesses को intimidate कर सकते हैं या documents destroy कर सकते हैं, 2) **Severity of Crimes**: रिश्वत और शक्ति का दुरुपयोग गंभीर अपराध हैं जो राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करते हैं, और 3) **Public Trust**: पूर्व राष्ट्रपति को bail देना संदेश देगा कि powerful individuals को विशेष उपचार मिलता है। Judge पार्क सू-ह्योंग ने prosecutors के तर्कों को स्वीकार किया और जमानत खारिज कर दी, यह कहते हुए कि "law must apply equally, regardless of position or power।" यह भारतीय Supreme Court के "equality before law" सिद्धांत के समान है।

राजनीतिक प्रतिक्रिया और विभाजन

जमानत खारिज होने पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं तीव्र रहीं। यून की People Power Party (PPP, conservative) ने निर्णय की निंदा की। PPP leader किम गी-ह्योन ने कहा, "यह न्याय नहीं है, यह political revenge है। Democratic Party यून को उनकी सफलता के लिए सज़ा दे रही है।" PPP ने protests आयोजित किए, thousands supporters Seoul streets पर आए, placards के साथ "Free Yoon" और "Justice for Our President।" यह विरोध भारत में political party supporters द्वारा protests के समान है—जब कोई leader arrest होता है, तो party workers सड़कों पर उतरते हैं।

दूसरी ओर, opposition Democratic Party (DP, progressive) ने निर्णय का स्वागत किया। DP leader ली जे-म्योंग ने कहा, "यह दिखाता है कि दक्षिण कोरियाई न्याय प्रणाली मजबूत है। कोई भी कानून से ऊपर नहीं है, यहां तक कि राष्ट्रपति भी नहीं।" DP supporters ने भी demonstrations आयोजित किए, celebrating the court decision और demanding "full punishment" for यून। यह polarization भारतीय राजनीति में भी आम है—जहां ruling और opposition parties एक ही घटना पर completely opposite views रखते हैं।

कानूनी मिसाल और संवैधानिक महत्व

यून का case दक्षिण कोरिया में एक महत्वपूर्ण कानूनी मिसाल स्थापित कर रहा है। पहली बार, एक sitting president को महाभियोग लगाया गया, arrested किया गया, और bail denied किया गया—सभी एक ही कार्यकाल में। पिछले cases में, पूर्व presidents पार्क ग्यून-हे (2017 महाभियोग) और ली म्योंग-बाक (2018 arrest) को भी भ्रष्टाचार के लिए सज़ा मिली थी, लेकिन उन्हें eventually bail मिल गई थी। यून का case अधिक सख्त है—court ने स्पष्ट किया है कि presidential position किसी protection की guarantee नहीं देती।

संवैधानिक रूप से, यह case दक्षिण कोरियाई democracy की maturity को दर्शाता है। देश ने 1987 में democratic transition किया, और तब से यह अपनी institutions को मजबूत कर रहा है। यून case दिखाता है कि judiciary, prosecutors, और public opinion सभी presidential power को check कर सकते हैं। यह भारतीय democracy के checks and balances system के समान है—जहां Supreme Court, Election Commission, और CAG सभी executive को check करते हैं।

जनता की राय और मीडिया कवरेज

जनता की राय यून case पर विभाजित है। एक September 2025 poll (Gallup Korea) के अनुसार, 52% South Koreans मानते हैं कि यून guilty हैं, 35% उन्हें innocent मानते हैं, और 13% undecided हैं। Age demographics दिलचस्प हैं: 18-35 age group में 68% यून को guilty मानते हैं, जबकि 60+ age group में केवल 38% guilty मानते हैं। यह generation gap भारत में भी दिखता है—जहां younger voters अक्सर corruption पर कठोर होते हैं, जबकि older voters party loyalty को प्राथमिकता देते हैं।

Media coverage intensely polarized है। Conservative newspapers (Chosun Ilbo, JoongAng Ilbo) यून को "victim of political persecution" के रूप में portray करते हैं। Progressive newspapers (Hankyoreh, Kyunghyang Shinmun) उन्हें "corrupt power abuser" कहते हैं। TV debates हर रात heated हैं—legal experts, political analysts, और citizens सभी passionate opinions देते हैं। यह भारतीय prime-time TV debates के समान है—जहां anchors और panelists loudly argue करते हैं political controversies पर।

यून सुक-येओल के जमानत खारिज होने का case केवल एक legal decision नहीं है—यह दक्षिण कोरिया की democratic institutions की strength और political divisions की depth दोनों को दर्शाता है। भारत के लिए, जो अपनी democracy और judicial independence को strengthen कर रहा है, यून case एक reminder है: powerful positions legal immunity नहीं देते, लेकिन political polarization न्याय को complicate कर सकता है। जैसे-जैसे trial आगे बढ़ता है, पूरी दुनिया देख रही है—यह देखने के लिए कि क्या दक्षिण कोरियाई justice system political pressures के बावजूद fair verdict देगा।


मूल कोरियाई लेख पढ़ें: Trendy News Korea

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