927 जलवायु न्याय मार्च: हजारों प्रतिभागी सियोल में पर्यावरण न्याय और तत्काल जलवायु कार्रवाई की मांग
दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में 27 सितंबर 2025 को आयोजित होने वाला '927 जलवायु न्याय मार्च' देश के पर्यावरण आंदोलन के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होने की उम्मीद है। यह व्यापक जन प्रदर्शन न केवल जलवायु परिवर्तन के खिलाफ आवाज उठाने का माध्यम है, बल्कि यह दक्षिण कोरियाई समाज में बढ़ती पर्यावरणीय चेतना और सामाजिक न्याय की मांग का प्रतीक भी है। इस मार्च का आयोजन विश्वव्यापी जलवायु संकट के मद्देनजर किया जा रहा है, जब पूरी दुनिया तापमान वृद्धि, प्राकृतिक आपदाओं और पर्यावरणीय क्षरण के गंभीर परिणामों का सामना कर रही है।
इस मार्च की संकल्पना एशिया-प्रशांत क्षेत्र में जलवायु न्याय आंदोलन के व्यापक संदर्भ में की गई है, जहाँ विकासशील देश जलवायु परिवर्तन के सबसे विनाशकारी प्रभावों का सामना कर रहे हैं, जबकि उनका इस समस्या के मूल कारणों में योगदान अपेक्षाकृत कम है। दक्षिण कोरिया, जो दुनिया की 11वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और एशिया का एक प्रमुख औद्योगिक केंद्र है, इस मुद्दे पर एक अनूठी स्थिति में है। देश ने पिछले दशकों में तेज़ी से औद्योगीकरण के माध्यम से आर्थिक समृद्धि हासिल की है, लेकिन इसके साथ ही पर्यावरणीय चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा है।
927 जलवायु न्याय मार्च का आयोजन कोरियाई जलवायु न्याय संघ (Korean Climate Justice Alliance) के नेतृत्व में किया जा रहा है, जो देश के 150 से अधिक पर्यावरण संगठनों, युवा आंदोलनों, श्रमिक संघों और सामुदायिक समूहों का एक व्यापक गठजोड़ है। इस संगठन की स्थापना 2023 में हुई थी, जब दक्षिन कोरिया में जलवायु सक्रियता एक नए मुकाम पर पहुंची और विभिन्न सामाजिक आंदोलनों के बीच एकजुटता का भाव मजबूत हुआ। संगठन का मुख्य उद्देश्य जलवायु परिवर्तन को केवल पर्यावरणीय मुद्दे के रूप में नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय, आर्थिक समानता और मानवाधिकारों के व्यापक सवाल के रूप में देखना है।
मार्च के मुख्य उद्देश्य और मांगें
927 जलवायु न्याय मार्च की मुख्य मांगों में सबसे पहली और सबसे महत्वपूर्ण मांग कोयला आधारित ऊर्जा संयंत्रों को चरणबद्ध तरीके से बंद करना है। दक्षिण कोरिया वर्तमान में अपनी कुल ऊर्जा आवश्यकताओं का लगभग 40% कोयले से पूरा करता है, जो देश को दुनिया के सबसे बड़े कार्बन उत्सर्जकों में से एक बनाता है। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि सरकार 2030 तक सभी कोयला संयंत्रों को बंद करने का स्पष्ट समयसीमा निर्धारित करे और इसके स्थान पर नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का विकास करे।
दूसरी प्रमुख मांग न्यायसंगत परिवर्तन (Just Transition) की नीति अपनाने की है, जिसका मतलब यह है कि जीवाश्म ईंधन उद्योगों में काम करने वाले श्रमिकों और उन पर निर्भर समुदायों के लिए वैकल्पिक रोजगार और आर्थिक सहायता की व्यवस्था की जाए। यह मांग इस बात को स्वीकार करती है कि जलवायु कार्रवाई सामाजिक रूप से न्यायसंगत होनी चाहिए और इसका बोझ समाज के सबसे कमजोर वर्गों पर नहीं पड़ना चाहिए। कोरियाई मजदूर संघों ने इस मुद्दे को लेकर सक्रिय भूमिका निभाई है और वे चाहते हैं कि सरकार हरित रोजगार (Green Jobs) के कार्यक्रम शुरू करे।
तीसरी महत्वपूर्ण मांग जलवायु न्याय कानून (Climate Justice Act) बनाने की है, जो जलवायु परिवर्तन को मानवाधिकार के मुद्दे के रूप में मान्यता देगा और सरकार को कानूनी रूप से बाध्य करेगा कि वह पेरिस समझौते के लक्ष्यों को पूरा करे। इस कानून में यह भी प्रावधान होगा कि जलवायु परिवर्तन के कारण प्रभावित होने वाले लोगों के लिए मुआवजे और सहायता की व्यवस्था की जाए। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वर्तमान में दक्षिण कोरिया का जलवायु कानून पर्याप्त मजबूत नहीं है और इसमें स्पष्ट लक्ष्य और जवाबदेही के तंत्र का अभाव है।
चौथी मांग कॉर्पोरेट जवाबदेही सुनिश्चित करने की है, विशेष रूप से बड़े औद्योगिक समूहों (चेबोल्स) के लिए जो दक्षिण कोरिया की अर्थव्यवस्था पर हावी हैं। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि सैमसंग, एलजी, हुंडई, पोस्को जैसी बड़ी कंपनियों को अपने कार्बन उत्सर्जन में तत्काल और पारदर्शी कटौती करनी चाहिए और उन्हें अपनी आपूर्ति श्रृंखला में भी पर्यावरणीय मानकों को लागू करना चाहिए। यह मांग इस तथ्य से प्रेरित है कि दक्षिण कोरिया के टॉप 10 कॉर्पोरेशन देश के कुल कार्बन उत्सर्जन का लगभग 60% के लिए जिम्मेदार हैं।
सामाजिक न्याय और पर्यावरणीय न्याय का संबंध
927 जलवायु न्याय मार्च की एक विशिष्टता यह है कि यह जलवायु परिवर्तन को व्यापक सामाजिक न्याय के संदर्भ में देखता है। दक्षिण कोरियाई समाज में बढ़ती आर्थिक असमानता, आवास संकट, और सामाजिक गतिशीलता में कमी जैसे मुद्दों को जलवायु न्याय के साथ जोड़कर देखा जा रहा है। आयोजकों का तर्क है कि जलवायु परिवर्तन का सबसे अधिक प्रभाव समाज के कमजोर वर्गों पर पड़ता है - गरीब परिवार, बुजुर्ग, दिव्यांग लोग, और प्रवासी श्रमिक।
इस संदर्भ में मार्च में 'जलवायु गरीबी' (Climate Poverty) का मुद्दा भी उठाया जा रहा है। यह अवधारणा इस तथ्य को दर्शाती है कि जलवायु परिवर्तन के कारण ऊर्जा की बढ़ती कीमतें, चरम मौसम की घटनाएं, और पर्यावरणीय क्षरण गरीब परिवारों को और भी गहरी गरीबी में धकेल देते हैं। दक्षिण कोरिया में हाल के वर्षों में ऊर्जा की कीमतों में वृद्धि के कारण कई परिवारों के लिए घर गर्म करना या ठंडा करना मुश्किल हो गया है, जिसे 'ऊर्जा गरीबी' कहा जाता है।
मार्च के आयोजकों ने विशेष रूप से महिलाओं और युवाओं की भागीदारी पर जोर दिया है, क्योंकि आंकड़े बताते हैं कि जलवायु परिवर्तन का प्रभाव इन समूहों पर सबसे अधिक पड़ता है। दक्षिण कोरिया में महिला पर्यावरण आंदोलन का एक मजबूत इतिहास है, जो 1980 के दशक में औद्योगिक प्रदूषण के खिलाफ स्थानीय प्रतिरोध से शुरू हुआ था। आज की महिला सक्रियताएं इस परंपरा को आगे बढ़ा रही हैं और जेंडर-संवेदनशील जलवायु नीतियों की मांग कर रही हैं।
युवा सक्रियता की बात करें तो दक्षिण कोरिया में 'स्कूल फॉर क्लाइमेट' (School for Climate) आंदोलन ने पिछले दो वर्षों में काफी लोकप्रियता हासिल की है। यह आंदोलन ग्रेटा थुनबर्ग के वैश्विक 'फ्राइडेज फॉर फ्यूचर' आंदोलन से प्रेरित है, लेकिन इसने कोरियाई शैक्षणिक प्रणाली और सामाजिक संरचना के अनुकूल अपना रूप विकसित किया है। इस आंदोलन में हजारों हाई स्कूल और विश्वविद्यालय के छात्र शामिल हैं, जो जलवायु शिक्षा को पाठ्यक्रम में शामिल करने और स्कूलों में नवीकरणीय ऊर्जा अपनाने की मांग कर रहे हैं।
अंतर्राष्ट्रीय संदर्भ और वैश्विक प्रभाव
927 जलवायु न्याय मार्च का आयोजन ऐसे समय में हो रहा है जब पूरी दुनिया में जलवायु सक्रियता एक नए चरण में पहुंच गई है। 2023 के यूएन जलवायु सम्मेलन (COP28) में जीवाश्म ईंधन से 'परिवर्तन' (Transition Away) की दिशा में वैश्विक सहमति बनी है, लेकिन सक्रियताओं का कहना है कि यह पर्याप्त नहीं है और अधिक तेज़ी से कार्रवाई की जरूरत है। दक्षिण कोरिया का मार्च इस वैश्विक मांग का हिस्सा है कि देशों को अपनी राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDCs) को और भी महत्वाकांक्षी बनाना चाहिए।
एशिया-प्रशांत क्षेत्र के संदर्भ में देखें तो दक्षिण कोरिया का यह मार्च एक महत्वपूर्ण उदाहरण है। जापान, चीन, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में भी इसी तरह के आंदोलन हो रहे हैं, लेकिन दक्षिण कोरिया की लोकतांत्रिक राजनीतिक व्यवस्था और सक्रिय नागरिक समाज यहाँ के आंदोलन को एक अलग चरित्र प्रदान करता है। देश में पिछले दशकों में मजबूत हुई लोकतांत्रिक संस्थाएं और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता इस तरह के बड़े पैमाने के प्रदर्शनों को संभव बनाती है।
अंतर्राष्ट्रीय जलवायु न्याय आंदोलन में दक्षिण कोरिया की भूमिका तब और भी महत्वपूर्ण हो जाती है जब हम देखते हैं कि देश कई महत्वपूर्ण वैश्विक जलवायु पहलों का हिस्सा है। दक्षिण कोरिया ग्लासगो फाइनेंशियल अलायंस फॉर नेट ज़ीरो (GFANZ) का सदस्य है और देश ने 2050 तक कार्बन न्यूट्रैलिटी हासिल करने का लक्ष्य रखा है। हालांकि, सक्रियताओं का कहना है कि इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए वर्तमान नीतियां पर्याप्त नहीं हैं।
मार्च के आयोजकों ने अंतर्राष्ट्रीय जलवायु न्याय संगठनों के साथ भी साझेदारी की है। 350.org, Greenpeace International, और Climate Action Network जैसे संगठन इस मार्च का समर्थन कर रहे हैं और उन्होंने अपने सदस्यों से दक्षिण कोरिया के आंदोलन के साथ एकजुटता दिखाने को कहा है। इससे यह मार्च केवल एक राष्ट्रीय घटना नहीं रह जाता, बल्कि वैश्विक जलवायु न्याय आंदोलन का एक महत्वपूर्ण घटक बन जाता है।
सरकारी प्रतिक्रिया और राजनीतिक संदर्भ
दक्षिण कोरियाई सरकार की जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर अब तक की प्रतिक्रिया मिश्रित रही है। एक तरफ सरकार ने 'ग्रीन न्यू डील' की घोषणा की है और नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश बढ़ाने का वादा किया है, दूसरी तरफ कोयला संयंत्रों को बंद करने के मुद्दे पर स्पष्ट समयसीमा निर्धारित करने में झिझक दिखाई है। वर्तमान सरकार का कहना है कि ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता को ध्यान में रखते हुए ही जलवायु लक्ष्य निर्धारित किए जा सकते हैं।
राष्ट्रपति युन सुक-योल के नेतृत्व वाली सरकार ने जलवायु परिवर्तन को राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा माना है और इसके लिए एक व्यापक रणनीति तैयार करने की घोषणा की है। हालांकि, पर्यावरण समूहों का कहना है कि सरकार की रणनीति में स्पष्ट लक्ष्य और समयसीमा का अभाव है। विशेष रूप से, कोयला संयंत्रों को चरणबद्ध तरीके से बंद करने के मुद्दे पर सरकार का रुख अस्पष्ट है।
राजनीतिक विपक्ष की भूमिका भी इस संदर्भ में महत्वपूर्ण है। डेमोक्रेटिक पार्टी और अन्य प्रगतिशील राजनीतिक दलों ने जलवायु न्याय मार्च का समर्थन किया है और उन्होंने सरकार से अधिक महत्वाकांक्षी जलवायु लक्ष्य निर्धारित करने को कहा है। कुछ विपक्षी नेताओं ने मार्च में भाग लेने की भी घोषणा की है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि जलवायु परिवर्तन दक्षिण कोरियाई राजनीति में एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है।
स्थानीय सरकारों की भूमिका भी ध्यान देने योग्य है। सियोल मेट्रोपॉलिटन सरकार ने मार्च को मंजूरी दी है और आवश्यक सुरक्षा व्यवस्था प्रदान करने का आश्वासन दिया है। सियोल के मेयर ओ से-हुन ने कहा है कि नागरिकों को शांतिपूर्ण प्रदर्शन का अधिकार है और शहर सरकार इसका समर्थन करती है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा है कि प्रदर्शनकारियों को शहर की सामान्य गतिविधियों में बाधा नहीं डालनी चाहिए।
927 जलवायु न्याय मार्च दक्षिण कोरियाई समाज की पर्यावरणीय चेतना और लोकतांत्रिक भागीदारी का एक महत्वपूर्ण प्रमाण है। यह मार्च न केवल जलवायु परिवर्तन के खिलाफ आवाज उठाने का माध्यम है, बल्कि यह सामाजिक न्याय, आर्थिक समानता, और भविष्य की पीढ़ियों के अधिकारों के लिए एक व्यापक संघर्ष का हिस्सा भी है। इसके परिणाम न केवल दक्षिण कोरिया की जलवायु नीति को प्रभावित करेंगे, बल्कि पूरे एशिया-प्रशांत क्षेत्र में जलवायु सक्रियता के लिए एक उदाहरण भी स्थापित करेंगे।
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